नागरिकता कानून की धरा 6A पैर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान में अहम् सुनवाई हुई है। Supreme Court की पांच न्याय देश की संविधान पीठ ने अहम् असम समझौते को आगे बढ़ने के लिए 1985 में संसोधन की माध्यम से नागरिकता अधिनियम की धरा 6A संविधानिक वेदिता को बरकरार रखा।
मुख्य न्यायाधीश D.Y Chandrachud जस्टिस सूर्यकांत MM Sundresh और Manoj Mishra पखस्य में थे जबकि जस्टिस JB Pardiwala ने असहमति जताई।
न्यूज़ के तहत Supreme Court ने केंद्र और राज्य सरकारों को अपडेट बांग्लादेशी प्रवासियों को पहचान कर के उन्हें निर्वासित करने केलिए तत्कालीन सर्बानंदा सोनोवाल सरकार की तहत असम में NRC के सम्बन्ध में निर्दर्शों को लागु करने केलिए कहा। सुप्रीम कोर्ट अब से पहचान और निर्वासम की प्रक्रिया की निगरानी करेगा।
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Supreme Court: Article 6A क्या है ?
सम्भिधानिक बेबस्था / अहम् बेबस्था के अनुसार जो व्यक्ति इन सब में शामिल नहीं है उस व्यक्ति को 6A नागरिकता प्रदान किया जाता है। असम समझते को आगे बढ़ने के लिए 1985 में संसोदन के बाद नागरिकता अधिनियम में आर्टिकल 6A जोड़ा गया था। उसमे संधि के तहत आने वाले लोग भी नागरिकता के लिए एक विशेष प्रबधन के रूप में नागरिकता अधिनियम में धरा 6A को जोड़ी गयी थी। इसमें कहा गया है की 1 जनुअरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बिच बांग्लादेश से असम ए अबैध प्रबासियों के नागरिकता पाने के लिए धरा 18 के अनुसार अप्लाई करना पड़ेगा। इस प्रबधन नागरिकता अप्लाई करने के लिए लास्ट डेट 25 मार्च 1971 तक था।
2 thoughts on “Supreme Court: की बड़ी राये निकला जायेगा बंगदेशी प्रवशिओं को !”